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Goldi Mishra

Drama Romance Others

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Goldi Mishra

Drama Romance Others

एक ओर से

एक ओर से

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घड़े के पानी सी,

बूंदों सी कभी सैलाब सी,

एक पल में ओझल,

एक पल में करीब थी,

दो घड़ी मेरी,

उम्र भर के लिए पराई सी,

कभी चाहत,

कभी बिछड़न थी,

ओस की नमी,

कभी बैसाख की धूप सी,


पर्वत सी अटल,

झील सी शीतल,

नव वधु की शालीनता,

आलिंगन में समाहित कोमलता,

गलियों से गुज़रा हो इत्र जब उसका,

मानो कण कण था महका,

हसीं उसकी खामोशी को चीरती,

सुर में खनकती वो पायल उसकी,

दीदार सिर्फ आंखों का मुमकिन हुआ,

उसके सारे बदन पर कमबख्त देखने को दिल ही ना किया,


चाहत रूह की क्या हैं जान बैठे,

उसकी गलियों से यूं गुज़रे की अपना पता हम भूल बैठे,

दूरी भी कुबूल है,

हमें अब हर बेरुखी मंजूर है,

उनकी हां भी वाजिब हैं,

ना उनकी भी जायज़ हैं,

आधा अधूरा सा बस हिस्से अपने कर लिया हैं,

हर ज़िक्र को परदे में कर एक चाहत को बेपर्दा कर दिया हैं,

मेरी बस मैं सुन रहा हूं,

शाम सहर हर पहर उसके ही खयालों को बुन रहा हूँ ।।



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