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Sweta Kumari

Others

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Sweta Kumari

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रंग बरसे

रंग बरसे

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रंग बरसे,उमंग बरसे,

जलते सूर्य की किरणों से,

हर सुबह उम्मीद बरसे,

भूखे और अनाथों के बीच,

अन्न का भंडार बरसे,

लाल रंग से इस जहाँ में,

एक नया संदेश बरसे,

इश्क मजहब, इश्क इबादत,

इश्क ही तो कर्म है,

गुलाबी की क्या बात कहूँ मैं,

शोभा इसकी न्यारी है,

न पूछो फिर भी बतलाऊँ,

नारी इसपर वारी है,

पीले की है बात निराली,

सादगी, निर्मलता हारी,

हरा रंग है ,हरी हमारी

सृष्टि इसमें पूर्ण समाई,

संपूर्ण विश्व में हर रंग करदे,

बस अपनी चढ़ाई,

अब कभी भी ना हो पाए

इनमें घमासान लड़ाई।



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