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Goldi Mishra

Drama Romance Tragedy

4  

Goldi Mishra

Drama Romance Tragedy

सबक

सबक

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अरे जनाब आखिर कब तक चुप रहोगे,

कब तक दर्द हस कर सहते रहोगे

ज़ख्म पुराना था,

उनकी हर याद को दिल से निकालना था,


थोड़े गलत वो थे,

थोड़े सही हम थे,

हमने ही उन्हें ये हक दिया था,

दिल तोड़ने का मौका भी हमने ही दिया था


हमें क्या पता था अंजाम ये होगा,

जिसको खुद से ज्यादा चाहा वही अपना ना होगा,

कोई कसर भी हमने छोड़ी नहीं,

अपने इश्क़ में कोई कमी भी हमने छोड़ी नहीं,

लाख सोचा पर याद नहीं क्या भूल हमसे हुई,

पल भर में ना जाने क्यों हमारी राहे अलग हुई,

शायद मेरा तुम्हारा साथ यही तक का था,

शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था,


हम दोनों की मंज़िल एक नहीं,

मोतियों से बिखरे इस रिश्ते को धागे में कभी पिरोया नहीं,

हम भी तूफानों में जहाज़ ले कर निकले थे,

तुम जैसे पत्थर को खुदा मान बैठे थे,


हर मुसाफिर को मंज़िल मिले ये जरूरी तो नहीं,

हर रिश्ते को नाम मिले ये जरूरी तो नहीं,

ताश के पत्तों की तरह थे सपने पल में बिखर गए,

कुछ लोग ऐसे थे ज़िन्दगी में जो मतलब पूरा होते ही चले गए,


ना खुदगर्ज तुम थे ना धोका हमने दिया था,

सारा कसूर हमारा था हमने ही तो हद से ज़्यादा इश्क़ किया था।


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