पिया चाँद से बैर हुआ
पिया चाँद से बैर हुआ


चाँद चाँदनी से बैर लिया मन को मेरे मोह लिया
खुद को तो रौशन किया बीच में तुझको डुबो दिया
रोज़ की बात हुई पुरानी आँखों में उतरा सैलाब का पानी
राज़ की बात बताए कानी मैं मूरख तू बनी सयानी
रास ना आये रूठना हमसे मनाये भी कौन जीत पाया कौन तुझसे
देखो मुझे भागना किससे कौन सुनायेगा तुझे कहानी किस्से
बात दिल की हुई रूहानी जैसे समुद्र में होता ज्वार भाटा तूफानी
पसंद ना आये नहीं कोई कहानी चाँद की खुशबू चली बनने चन्दन की रानी
दे रही मुझे प्यार की थपकी सोचूँ कौन सच्चा कौन ले रहा फिरकी
किसी और दिन तुम देना मुझे धमकी चाँद रौशन हुआ तुम खोलो तो खिड़की।