तुम शायद कभी वो थे ही नही
तुम शायद कभी वो थे ही नही
हां इस बार कोई मुझे समझा नही रहा की वो तुम्हारे लिए बना नही ,
इस बार कोइ मुझे चुप नही करा रहा कि तुमहारे लिए मैं खास नही।
शायद तुम वो ख्वाब थे जो एक रात में हज़ार हसीन सपने दिखा कर सालो की नींद ले गया ,
या शायद वो शराब जो चंद लम्हो की खुशी देखकर ज़िंदगी भर का आराम ले गयी।
शायद वो प्यार था ही नही जो मुझे सालों का दर्द देकर रातों की नींदें ले गया और छोटी उम्र में ही मरने के हज़ार बहाने दे गया।
लग जा गले से लेकर लो मान लिया हमने है प्यार नही तुमको तक का सफर कुछ ज़्यादा ही महंगा था,
बस कई महीनों की नींद , गीले तकिये , खुदखुशी के ख्याल और लोगो से दूरी हां यही इसका ख़र्चा था।
हँसी आती है सोचकर रोज़-ए-महशर के वादे करने वाला दुनिया में साथ छोड़ गया,
तब नफ़सा-नफ़्सी के आलम में कोई पूछता नही पर वो दुनिया के सवाल मुझपर छोड़ गया।
तसव्वुर में भी अब क़ुरबत रखनी नही तुमसे क्योंकि बेबुनियाद ख्याल मेरे ज़ेहन के अब जंचते नही मुझपे।
रिश्ता आया था मेरा अब्बा ने हां करवाली है मुझसे, आज मेहंदी लगी है कल रुकसत होनी है घर से !
मेहर में ज़्यादा कुछ नही बस मोहब्बत की उम्मीद न रखे मुझसे मैंने इतना ही मांगा है,
और उसने भी दहेज में बस मेरी खुशी को ही मांगा है!
काज़ी की बस उस आवाज़ से ख़ौफ़ है जो क़ुबूल है कहलवाने आएगा,
कल तक जो तुम्हारे लिए लिखा था आज किसी और के लिए बोला जाएगा।
घर से जुदा होने का ग़म नही मैंने तुमको खोया है,
पहले मोहब्बत आज़माई गई थी अब से सब्र आज़माया जाएगा।
पहले मोहब्बत आज़माई गई थी ,अब सब्र आज़माया जाएगा।
