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Papu parida

Abstract

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Papu parida

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ए इंसान तू इंसान बन जा

ए इंसान तू इंसान बन जा

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झूठा है सब गर्व तेरा 

झूठा है सब अहंकार

कहता है तू श्रेष्ठ है

अरे कहता है तू श्रेष्ठ है

कैसे तू है श्रेष्ठ

है क्या उसका उत्तर?


ईर्ष्या से पांव खींचना

किसी की राह में काँटा बनना

यदि कोई तुमसे आगे निकले

तो उसे पीछे खींच कर मसल देना


केकड़ा का ये स्वाभाव किस लिए तू रखता है

तू एक बार बदल जा।

ए इंसान तू इंसान बन जा।


अन्याय का अनीति का

दुर्नीति का फैलाव

महादेव भी डर रहे हैं

देख कलियुग का ये सैलाब।


रक्त की लाली से चलता है होली खेल

बिस्फोरण,आक्रमण, शोषण,बाहुबल

कर ले जितना गुरूर फिर भी

कर ले जितना गुरूर फिर भी

तू एक मनुष्य है केवल।


ध्वंस से पहले 

तू एक बार सुधर जा।

ए इंसान तू इंसान बन जा।


आपने मन के कामना को न कर नियंत्रण

किसी के पोशाक पे मारते हो प्रश्न बाण

यहाँ साठ साल की बुजुर्ग भी घर्षित होती है

और दो साल की बच्ची भी

तो कैसे बताते हो पोशाक को एक कारण।


दानव के ये प्रकृति मिटा देगा तुझे

तू एक बार बदल जा

ए इंसान तू इंसान बन जा।


सत्ता के लोभी सत्ता के लिए अंध

प्रति स्वर में सूंघते है राजनीति का गंध

पीड़िता की चीख कहाँ सुनाई देती है

तो फिर सब खतम होने के बाद

लोग महमबत्ती क्यों जलाते है।


यदि ये समस्या आज का नहीं है

तो काननु में क्यो बदलाव नहीं होता

महादेव भी डरते है मार से

तो ये मनुष्य किसी से क्यों नहीं डरता।


जिंदगी को लेकर क्यों खेलता तू खेल

तू एक बार बदल जा

ए इंसान तू इंसान बन जा।


संपत्ति के आश में इंसान यहां पागल हो चला

बेटा खाये व्यंजनों पे व्यंजन

बाप को चावल तक न मिला।

मरने के बाद भी शांति नही मिलती

शव उसका पड़े रहता है

आग तक नसीब नहीं होती।


झूठी संपत्ति के आश में यहाँ चलता है खून खराबा

कोई रहता महल में तो 

कोई सोचता है आज पेट कैसे भरेगा।

किस लिये ये जुनून किश लिए लापरवाही

जब एक दिन होनी है इस दुनिया से सबकी बिदाई।


बित्त के मायानगरी में क्यों घूमता तू अंध के तरह

तू एक बार बदल जा

ए इंसान तू इंसान बन जा।


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