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Dr pratap Mohan "bhartiya "

Abstract

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Dr pratap Mohan "bhartiya "

Abstract

भ्रष्टाचार बनाम शिष्टाचार

भ्रष्टाचार बनाम शिष्टाचार

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भ्रष्टाचार अब हो 

गया है शिष्टाचार।

इसके बिना नहीं

होता उद्धार।


काम सही हो या गलत

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

बिना लेन देन के

आपका फाइल आगे नहीं बढ़ता।


सरकारी कर्मचारी का

तनख्वाह से

पेट नहीं भरता है।

भ्रष्टाचार की कमाई

से उसका घर खर्च चलता है।

 

भ्रष्टाचार ने 

दीमक की तरह

इस देश को खाया है।

और खाने वालों ने

इस देश में अपना 

साम्राज्य बनाया है ।


भ्रष्टाचार की कड़ी

नीचे से ऊपर तक है जुड़ी।

अब लगना चाहिये

भ्रष्टाचारियों को हथकड़ी।


न करेंगे भ्रष्टाचार 

न होने देंगे भ्रष्टाचार

देश की तरक्की का

यह है एक मात्र उपचार।

  


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