रुग्ण काया बिन चप्पल पांव अश्रु पूरित नेत्रों से ताक रही थी ! रुग्ण काया बिन चप्पल पांव अश्रु पूरित नेत्रों से ताक रही थी !
आसान नहीं हर रोज़ गुस्सा पी जाना आसान नहीं हर तकलीफ दबा जाना। आसान नहीं हर रोज़ गुस्सा पी जाना आसान नहीं हर तकलीफ दबा जाना।
ज़िंदगी से ट्रोल हो जाये काश, भत्ते डीज़ल, और तनख़्वाह पेट्रॉल हो जाये। ज़िंदगी से ट्रोल हो जाये काश, भत्ते डीज़ल, और तनख़्वाह पेट्रॉल हो जाये।
हमारी हर जरुरतों को पुरी करनेवाली इकलौती ‘वो’ कौन है...? नौकरी...!!! और उसी पर कोई कविता लिखता है तो... हमारी हर जरुरतों को पुरी करनेवाली इकलौती ‘वो’ कौन है...? नौकरी...!!! और उसी पर क...
उसके लिए महीने की बंधी तनख्वाह इक पिंजरा है सोने का और मजबूरी है पेट उसके लिए महीने की बंधी तनख्वाह इक पिंजरा है सोने का और मजबूरी है पेट
सदा बीमारी का घर होगा, दुगुनी कीमत से इलाज कराना होगा, सदा बीमारी का घर होगा, दुगुनी कीमत से इलाज कराना होगा,