तनख्वाह पेट्रॉल हो जाये
तनख्वाह पेट्रॉल हो जाये
काश, भत्ते डीज़ल,
और तनख़्वाह पेट्रॉल हो जाये,
डॉलर में ओवरऑल हो जाये।
दिन दूनी रात चौगुनी बढ़े,
चक्रवृद्धि ब्याज सी चढ़े,
वार्षिक बोनस रसोई गैस हो जाये,
हर ऑफिस में संसद सा मेस हो जाये,
ऐसा कोई जादुई खेल हो जाये।
ऐसी सियासत से मेल हो जाये,
काश, जनता मालामाल और,
नेता सूखे क्रीम रॉल हो जाये,
धत तेरी की प्राइवेटाइजैसन,
सारी जनता सरकारी पे रॉल हो जाये,
काश, भत्ते डीज़ल,
और तनख़्वाह पेट्रॉल हो जाये…।
एंट्री ऋण क़िस्त की लेटरल हो जाये,
वो नोट बंधी वाला कालाधन, तरल हो जाये,
टेलीकॉम कंपनियों सा महीना हो जाए,
सैलरी का नियम भी ऐसा कमीना हो जाये,
साल के तेरह महीने, तनख्वाह क्रेडिट हो जाये,
हुकूमत के द्वारा ऐसा मेंडेट हो जाये।
खर्चे रोजमर्रा के कूल हो जाये,
बटुए सबके फुल हो जाये,
सैलरी बीयूटीफुल, टेंशन गुल हो जाये,
ऐसा कोई पक्का रुल हो जाये।
अलादीन के चिराग का कमाल हो जाये,
होली पर चंग, ढोल और धमाल हो जाये,
होली पर ऐसा कोई #रंग बरस# जाये,
महंगाई पानी को भी तरस जाये,
डायन मंहगाई, राक्षक भ्रष्टाचार,
ज़िंदगी से ट्रोल हो जाये
काश, भत्ते डीज़ल,
और तनख़्वाह पेट्रॉल हो जाये।

