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Laxmi N Jabadolia

Abstract Classics Inspirational

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Laxmi N Jabadolia

Abstract Classics Inspirational

सुनो, अब कश्मीर में भी तिरंगा लहरा दो...।

सुनो, अब कश्मीर में भी तिरंगा लहरा दो...।

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गुलमर्ग सुंदरी धरती पर हे, कश्मीर, भारत का तुम अभिन्न अंग हो,

डाक झील लद्दाख हिम श्रंखला जहाँ, क्यों सत्तर साल से भंग हो,


श्रीनगर की पश्मीना शॉल हो तुम, जम्मू में वैष्णो की ढाल हो,

पर घाटी में अशांति रहे सदा, क्या भारत के तुम संग हो,


अपने ही घर में आतंक का साया है, मासूमों का दिल दुखाया है,

अलगाववादियों को ललकार दो, अब कश्मीर में भी तिरंगा लहरा दो..।


किताबें नहीं दी, दे दिए पत्थर, स्कूल के नन्हे हाथों में,

उगा मंज़र नफरत का खुदगर्ज लोगों ने, फसा लिया अपनी बातों में,


लजा लूट के धारा 370, 35A का, कुछ चु

निंदा लोगों ने,

कर कश्मीर पर आधिपत्य अपना, आंतक उन्होंने फैलाया है,


नर्क बना दिया अप्सरा कली को, अनेकों बार सुलगाया है,

आज़ाद भारत के विशाल दिल में, हे, कश्मीर तुम अकेले कैसे रहते हो,


अलग ध्वज, दोहरी नागरिकता, क्या तुम भारत का अन्न नहीं खाते हो,

आज ख़ुशी है भारत तेरे संविधान से, जो कश्मीर को अभिन्न ही रहने दिया,


लोकतंत्र की बहुमत सरकार ने, जो धारा 370, 35A को हटा दिया,

हे, कश्मीर तुम आज़ाद भारत के, सिर पर अखंड मुकुट का पहरा दो,


बजा बांसुरी देश प्रेम की, सुनो, अब कश्मीर में भी तिरंगा लहरा दो..।


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