एक कलम आजादी के लिए
एक कलम आजादी के लिए


हालत देख आम जनता की ,
तंग आकर घूसखोरी महंगाई से I
तांडव कर रहे अंदरूनी दुश्मन,
भ्रष्टाचार लूटपाट काली कमाई से I
आओ, मिलकर करे डट के मुकाबला,
मातृभूमि को बचाने को.. I
चल उठा कलम आज़ादी के लिए ,
एक कदम बढ़ाने को… I
सपूत खड़े है सीमा पर,
मेरी रक्षा करने को I
अंदर वाले लूट रहे मुझको,
लज्जा मेरी डसने को I
आओ मिलकर एक शपथ ले,
अपना देश बचाने को...,
चल उठा कलम आज़ादी के लिए,
एक कदम बढ़ाने को.....
नहीं चाहिए शोर शराबा ,
बस चहुँ ओर शांति कायम रहे I
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
चारों भाई भाई रहे I
मिलकर करे मुकाबला दुश्मन से,
बस इंसानियत पर कायम रहे I
आओ, मिलकर कलम उठाये,
लोकतंत्रात्मिक आज़ादी पाने को..,
चल उठा कलम आज़ादी के लिए ,
एक कदम बढ़ाने को.....I