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डॉ० कुलवीर बैनीवाल

Drama Action Inspirational

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डॉ० कुलवीर बैनीवाल

Drama Action Inspirational

जीवन स्वर्ग इसी से बनना है..

जीवन स्वर्ग इसी से बनना है..

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एक बार की बात सुनाता हूँ,

दो सहेलियाँ बात करती जाती है,

एक बोली दूसरे से, तू पढ़ाई ना करती फेल हो जागी,

फिर जीवन बरबाद हो जायेगा।


दूसरी बोली पहले से, पढ़कर क्या करना है, शादी तो फिर भी हो जागी,

अगर पढ़ लिख गयी तो नौकरी वाले आदमी से शादी हो जागी,

फिर तो जीवन बरबाद हो जायेगा।


पहले वाली बोली दूसरे से, अगर पढ़ लिख गयी तो बड़े शहरों में जाना हो जागा,

8-10 घंटों की नौकरी में 40 हजार तनख्वाह पावेगी, 

गुरुग्राम- मुम्बई- पुणे में घूमकर आवेगी,

फिर तो जीवन स्वर्ग हो जायेगा।


दूसरी बोली पहले से, मैं गयी बड़े शहरों में,

घर होगा किराये का, तनख्वाह आधी जाएगी,

अगर सोची लेने की घर तो लोन से लिया जायेगा,

जिसको चुकाते-चुकाते 15 से 20 साल लग जायेंगे,

सदा बीमारी का घर होगा, दुगुनी कीमत से इलाज कराना होगा,

जीवन बरबाद हो जायेगा।


छुट्टी मिलें ना गर्मी-सर्दी में, स्वास्थ्य के नाम पर ऑर्गेनिक खाना होगा,

जीजी, तू सारा जोड़-घटा-गुणा-भाग कर लें, तेरी समझ में खुद आ जावेगा,

जीवन स्वर्ग हो जायेगा।


फिर बोली दूसरी पहले से, अगर मैं फेल हो गयी, 

बापू किसान से ब्याह करवा देंगे, 

रुपये थोड़े-घने होंगे पर सारे अपने होंगे, टैक्स का न लफड़ा होवेगा,

मुफ्त का बिजली-पानी-डीजल होगा, 

अपने खेतों में ऑर्गेनिक उपजाएँगे, 

अपनी गाय का दूध पीवें और पिलायेंगे,

बीमारी की न कोई चिंता होगी, 

24 घंटे सास-ससुर-पति व बच्चे होंगे, 

सबसे बड़ी बात ये हो जाएगी, 

सरकार वोट के चक्कर में सारा लोन माफ़ कर जाएगी,

जीवन स्वर्ग हो जायेगा।


पहली बोली दूसरे से, बेबे मेरी आँख खोल दी ए,

मैं भी सोचने लगी हूँ, मैं भी फेल हो जाऊंगी,

जीवन स्वर्ग बनाऊंगी।  


अंत में "कुलवीर बैनीवाल" कहता है,

ये तो हंसने की कविताई है,

पढ़ना-लिखना छोड़ना नहीं है,

जीवन स्वर्ग इसी से बनना है...

जीवन स्वर्ग इसी से बनना है..।   


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