जाने कंहा खो गए ?
जाने कंहा खो गए ?
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जाने कहां खो गये
वो बचपन के दिन।
जब कुछ पल भी नहीं
गुजरते थे मस्ती के बिन।
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सारा दिन अपनी मस्ती
में मस्त होते थे।
चाहे आंधी आये या तूफान
अपनी हस्ती में व्यस्त होते थे।।
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न किसी बात का डर और
न किसी की चिंता।
खुद के अलावा नही
रखते थे किसी का पता।
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काश वो बचपन
फिर से लौट आये।
और हम हंसी खुशी
की दुनियां में
वापस लौट जाये।
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अब हम बड़े हो गये,
बचपन के वो
हसीन दिन
जाने कहां खो गये?