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PRADEEP TIWARI

Abstract

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PRADEEP TIWARI

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मेरा अधूरापन

मेरा अधूरापन

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मैं जाता

मैं खाता

मैं पीता

मैं सोता

मेरी यही जिंदगी

लेकिन एक दिन


वो मेरी जिंदगी मे आई

और मैं वो अब नहीं करता

जो पहले कभी करता था

मैं सबकुछ भूल गया था, मैं कुछ करता भी था क्या..

मै अब केवल दिन रात सपने देखता हूँ उसके....


क्या इसी को एक तरफआ इसक कहते है....

काश, उसको भी जाकर बताइये..... मैं भी बैठा हूँ

उसके दीदार मै, मैं भी उसका सच्चा प्रेमी हूँ,

क्या एकतरफा प्यार यही हैं... उसको भी पता है क्या,


उम्र जा रही है धीरे धीरे से.कम्बख्त इसक चीज ही ऐसी,

न जीने देती है और न ही मरने देती...

मेरा नाम भी उसकी लिस्ट मैं हो, यही सोच कर डूब

जाता हूँ उसके सेलेबस मै...

अबकी बाऱ तो वो नाम लेकर बुलायगी.....

बस अब यही ख्याब हैं।


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