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PRADEEP TIWARI

Classics

4  

PRADEEP TIWARI

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मेरा श्याम

मेरा श्याम

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काला वर्ण  मेरा,
मै श्याम रग़ मे मिली,
एक शाम को श्यामा,
श्याम वर्ण मे घूली.
रंग की महिमा अपरमपार,
अब गोरे  रंग मे न क़ोई सार.
कोयल अपनी भाषा बोली क्योंकि 
वह काली काली कू कू कू कू मै चहकी क्योंकि 
वह आज़ाद थी, उसकी भाषा खुद की थी.
हरे रंग का मेरा तोता दूसरे की भाषा बोला,
बोलो मैं मिठु मिठु........ क्योंकि वह गुलाम
होकर पिंजरे मे कैद था.
ऐ मेरे श्याम, अपनी भाषा अपना विचार खुद
का रखे, अपने आप पर विश्वास करें.
मे श्याम वर्ण की तू मेरा श्याम,
शेष को राम राम.......


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