बरसता है जो बे-मौसम ही अक्सर , मैं उस बारिश में जल थल हो गई हूँ। बरसता है जो बे-मौसम ही अक्सर , मैं उस बारिश में जल थल हो गई हूँ।
न लौट दस्तक देना मेरे इस सूने मन मे, मैं मुक्कमल हूँ इस अधूरेपन में।। न लौट दस्तक देना मेरे इस सूने मन मे, मैं मुक्कमल हूँ इस अधूरेपन में।।
महसूस होता है हर घड़ी अब अकेलापन। महसूस होता है हर घड़ी अब अकेलापन।
कभी कोई सवाल ताउम्र सवाल बनकर ही रह जाता है कभी कोई सवाल ताउम्र सवाल बनकर ही रह जाता है
जब लगाव परमात्मा से हो गया मायावी लगावों से दूर हो गया अधूरापन मिटा खुद रब हो गया जब लगाव परमात्मा से हो गया मायावी लगावों से दूर हो गया अधूरापन मिटा खुद रब...
तुम्हारे दिए ख़ालीपन ने मुझे अपने आप में पूरा कर दिया। तुम्हारे दिए ख़ालीपन ने मुझे अपने आप में पूरा कर दिया।