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Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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फिक्र

फिक्र

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फिक्र क्यों करता है बंदे,

ये सब है कुदरत के फंडे,

सब कुछ उसके हाथ है,

तेरी किस्मत तेरे साथ है।


लिखा दिया है तकदीर उसने,

तु सब कर ले तदबीर से अपने,

फिक्र ना करना कभी यहां तु,

फिक्र देने वाला भी वही है।


कुदरत पर तू कर ले भरोसा,

कुदरत से बढ़ ना कोई पोसा,

सब कुदरत का है खेल निराला,

सबको देता है वही निवाला।


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