एक जिज्ञासु भावना
एक जिज्ञासु भावना
जीवन स्वरूप
एक अज्ञात रहस्य,
लगातार भस्म करते हुए हमें
हर जीवन को आश्चर्य में
जीने के लिए
प्रोत्साहित करता है।
आश्चर्य यह
कि हम क्यों जी रहे हैं और
जीवन मृत्यु के पीछे का
सत्य या रहस्य क्या है?
ऐसे ही कल्पित कल्पनाओं में
प्रश्नों के उत्तर खोजने में,
रातों को दिनों और
दिनों को रातों में बदलते हुए
न जाने हम किन
रास्तों को खोजते हैं।
इन आश्चरियों के लिए
एक जिज्ञासु भावना
हमारे अंतर्मन में
कुरुक्षेत्र का रूप लेकर,
हमारे अंदर अग्नि की
ज्वाला को दहलाता रहता है।
खून बहता रहता है
पर दिल के लिए,
शब्द अभिव्यक्ति से बचते हैं।
जीवन के ज्यादातर पन्ने
खाली है और
बदलाव का इंतजार कर रहे हैं।
हमारे विचार गोलाकार आकार में
मन में कोताहल मचाते हुए
घूमते रहते हैं।
शब्दों और दुनिया, चेहरों और भावों के बीच,
दर्द और राहतों, गुफ्त और प्रकट के बीच,
खोने और पाने के संघर्षों के बीच,
कमज़ोर और सशक्त कड़ियों के बीच,
जिस पल हम समर्पण करते हैं,
हम खुद को
ब्रह्माण्ड के उस पार पाते हैं
जहां हमारी यात्रा जारी रहती है
उस क्षितिज का पता लगाने
जहां हमें जीवन को
उलझाने वाले सवालों का
बड़ा सुधार मिलता है
और हम उसमें विलीन हो जाते हैं।
