सपने
सपने
बरसों से,
पाई पाई जोड़कर----
जमा किए थे---
कुछ सपने---
दिल की गुल्लक में,
आज ---फुर्सत थी--
सोचा---
खोल कर देखूं, गुल्लक---
और
जरा सा निहार लूं----
पाई पाई कर जोड़े गए----
सपने सुहाने,
देखा मैंने----
बड़ी तरतीब से---
संभले रखे थे---- सपने---
कुछ लड़कपन के---
कुछ जवानी के---
कुछ अधेड़पन के----
कुछ पूरे,
कुछ अधूरे---
कुछ टूटे हुए सपनों की---
किरचियां थी----
जिन्हें बीन कर,
फिर से संभाल दिये-----
पूरे- अधूरे सपने,
दिल की गुल्लक में,
और
टूटे हुए सपनों की किरचों को,
बुहार कर---दिखा दिया---
रास्ता बाहर का,
और
सहेज कर रख दिए हैं मैंने----
दिल की गुल्लक में---
बचे-खुचे सपने सुहाने!!!