पुरानी यादे
पुरानी यादे
आज एक पुराने दोस्त से मिली सालो बाद
ऐसा लग रहा था जैसे उससे भाग रही हूं
कोई गिला शिकवा नहीं था पुराना
पर किसी बात का डर था मन में
मैं आगे को भागे चली जा रही थी
खुल कर बात करने को मन चाहा
पर किस्मत को नसीब नहीं था
बस कुछ ही मिनट में रास्ते बदल गए
फिर सोचती है कि ये भी बात करनी थी वो भी
ये भी पूछना रह गया वो भी
घर आ कर बालकनी से झांका
की अगर बाहर मिल जाए तो घर पर बुलाऊं
ढेर सारी बाते करूं
करना भी बहुत कुछ है
पर मन में किसी बात का डर
फिर दुनिया वापस वही पहुंच जाती है।
