शांति की डगर
शांति की डगर
दिन में उजाला रात में अंधेरा
तू मेरे लिए है परिंदा
जहां मन चाहे
वही खिंची चली जाऊं
बस तेरा हाथ थाम
कर सारी डागरिया पार कर जाऊं।
दिन में उजाला रात में अंधेरा
तू मेरे लिए है परिंदा
जहां मन चाहे
वही खिंची चली जाऊं
बस तेरा हाथ थाम
कर सारी डागरिया पार कर जाऊं।