अंधेरी रात
अंधेरी रात
अंधेरा सा लगता है चारों तरफ
जैसे किसी पिंजरे में बंद हूं
खोल कर देखती हूँ तो
यहाँ भी सब सन्नाटा सा है
भागना यहां से वहां फितरत बन गई है
की कही तो खुले आसमान में उड़ पाऊँ
अंधेरा सा लगता है चारों तरफ
जैसे किसी पिंजरे में बंद हूं
खोल कर देखती हूँ तो
यहाँ भी सब सन्नाटा सा है
भागना यहां से वहां फितरत बन गई है
की कही तो खुले आसमान में उड़ पाऊँ