Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Archana Tiwary

Abstract

3  

Archana Tiwary

Abstract

वो रात

वो रात

2 mins
198


उस रात को मैं कभी भूल नही सकती। मैं और मेरे पति रात के खाने के बाद थोड़ी देर सैर करने निकले। मौसम में ठंडक थी। रात बडी सुहानी लग रही थी। मेरे पति थोड़ी देर के बाद "सर्दी लग जाएगी" कहते हुए घर चलने के लिए मुड़ गए पर मेरा मन तो उस रात की चांदिनी की आगोश में डूब जाना चाहता था।

तभी कुछ दूर से दो तीन लोगों के दौड़ने की आवाज़ आयी। हमदोनो उस तरफ बढ़ने लगे। देखा वो पगली औरत जो अक्सर चौराहे पर पूरे दिन बैठी रहती थी,जोर से भागती हुई चली आ रही है । उसके पीछे तीन चार लोग भी आ रहे थे। हमें समझते देर न लगी की मामला क्या है। जो लोग दिन में उसे कभी छेड़ कर तो कभी मज़ाक उड़ा कर माज़ा लेते थे वे ही रात में उसके साथ....। हमें देख पास आकर वो कुछ कह कर समझाना चाहती थी जिसे हमने पहले ही भांप लिया था। मेरे पति ने जोर से ऊँची आवाज़ में पूछा-"कौन हो तुमलोग,इसका पीछा क्यों कर रहे हो"?इतना सुन सब भाग गए। मुझे उस पगली पर बहुत दया आने लगी। इतनी रात ठण्ड में वो कहाँ जायेगी। मेरे पति ने मेरी मौन की भाषा सुन ली ।  उन्होंने कहा-"चलो आज इसे अपने घर के पीछे सर्वेंट क्वार्टर में सुला देते है। कल की बात कल सोचेंगे"। मैंने उस रात तो उसे उन दरिंदों से बचा लिया था पर ऐसी न जाने कितनी ऐसी पगली औरत होगी जो इस सर्द रात में शिकारियों का शिकार बनने से अपने आप को बचाने में नाकामयाब हो जाती होगी।  


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract