हां याद आती है तेरी बारिश में,
हां याद आती है तेरी बारिश में,
ये रात की तनहाई और ये बारिश की बूंदे अक्सर ही हलचल मचाती है,
कैसे बयां करूं उन जज्बातों को जो बेवजह तेरी याद दिलाती है,
ये बूंदे अक्सर मुझसे सवाल करती है तेरी परछाई देखकर बवाल करती है,
समेटना चाहती है तुझे खुद में ना जाने कितने ही प्रयास करती है,
कैसे कहूं इन पगली बूंदों से तू तो मुझमें है वसा,
ना जाने कितनी ही सदियों से प्रचलित है ये किस्सा,
बेतहाशा बारिश और मैं और सूना सा ये पल,
सब ही तो कह रहे हैं देख कितनी मची है तुझमें हलचल,
तू आज साथ नहीं है पता है ये मुझे,
पर कैसे बताऊं इस बरसात ने फिर जला डाला है मुझे,
वक्त बीत जाएगा शायद पर कुछ जख्म अभी बाकी
है,
कैसे बतलाऊं इन बूंदों को कि वक्त का कहर अभी बाकी है,
हर बार कश्ती पानी में डूब जाती है,
जिंदगी की राह में आज पता चला कि डूबीं जो
बारिश की बूंदों में वो कागज़ की कश्ती हमारी है,
आज भी बेतहाशा बारिश मुझे भीगो रही है,
शायद ये आज किसी को याद करके रो रही है,
कितने ही ख़ामोश पन्ने इतिहास बयां करते हैं,
बिछड़ जाते हैं जो वो अफसाने अनगिनत उनके नाम करते हैं,
काश इस बरसात में एक करिश्मा हो,
टूटें आसमां में एक तारा और जमीं पर तुझसे मुलाकात हो,
काश इस बरसात फिर मिल जाए फिर उसी तरह,
लिख जाए एक नया इतिहास सुनहरे पन्नों पर जिसे पढेगी ये दुनिया,
एक मुलाकात की चाह और बरसती हुई बूंदों का पहरा,
कितना सुखद सा है ये एहसास जिसमें दखल न हो किसी का,
तुम जहां भी हो सदा खुश रहना अंत में कहते हैं मेरे नैना,
जब भी बारिश आए तो मैं ठीक हूं तुम भी बस यही समझना,
चलो अब मैं चलती ख्याब में मुलाकात शायद हो जाए,
परियों का हो पहरा और फिर वही बरसात हो जाए,
हां याद आती है तुम्हारी,,,,,हर बारिश में,,,!!

