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Vijay Kumar

Romance

4.5  

Vijay Kumar

Romance

प्यार का बगिया

प्यार का बगिया

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तेरे मेरे प्यार का बगिया कुछ ऎसा हो

दोनों के पलको का ख्वाब एक जैसा हो

न रहे कोई दूरी न दिखे कोई मजबूरी

इसमे न कोई तेरा न कोई मेरा हो,


चाहे ग़म का हो बसेरा या खुशियों का डेरा हो

जो भी हो बस दोनों के दिल का रिश्ता गहरा हो

लम्हें हो जुदाई का या मिलन का पल हो

बस दोनों के विश्वास की डोर मजबूत हो,


आँगन में चाँद हो या एक चांदनी हो

दोनों की बस्ती उसमें जान हो

फुर्सत के हो कुछ लम्हे या काम का पल हो

बस मुस्कराता हुआ हमारा हर एक क्षण हो,


तेरे मेरे प्यार का बगिया कुछ ऎसा हो

दोनों के पलको का ख्वाब एक जैसा हो,

हरा - भरा एक खुशहाल घर - आँगन हो

> प्यार, भरोसा, इज़्ज़त, और अपनेपन का फूल हो


तेरे हाथों में मेरा हाथ हो या मेरे हाथों में तेरा हाथ हो

बस यूं लगे जैसे दो धड़कनों में बसी एक जान हो,

 राहों में महकी खुशबू हो या बिछे कांटे हो

लिए हाथों में हाथ बस सफर की शुरुआत हो


आंखों में प्यार और धड़कनों में चाहत हो

लगे ऎसा कि एक कि परछाई दूसरे में समाई हो,

आँगन में चाहे गूंजती किलकारी या बिखरा सन्नाटा हो

बस दिल की चाहते एक-दूसरे के लिए कभी कम न हो


गुजरे कोई पथिक या आया कोई अतिथि हो

लगे उन्हें कोई एक स्वप्न सा एहसास हो,

तेरे मेरे प्यार का बगिया कुछ ऎसा हो

दोनों के पलकों का ख्वाब एक जैसा हो।


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