कितना अच्छा होता सोचो
कितना अच्छा होता सोचो
कितना अच्छा होता सोचो !
जब कुछ ऐसा होता सोचो !
जब हम बैठे होते बागों में
फूलों वाले बागों में
हरी-गुलाबी
लाल-पीली
रंग-बिरंगे बागों में
सुब्ह-सुब्ह की
पुरवाई जब
इठलाती-मठलाती होती
फूलों वाले बागों की उसमें
सौंधी-सौंधी खुशबू होती
सिर्फ मैं होता
और तुम होती
पक्षियों की चहचहाहट होती
पत्तियों की सरसराहट होती
हवाओं की सनसनाहट होती
और तुम्हारे लब पे
एक छोटी सी मुस्कुराहट होती
कितना अच्छा होता सोचो
गर कुछ ऐसा होता सोचो !