सीधी सी बात
सीधी सी बात
पहनकर बैठे हैं हम चुप्पियों की पैरहन
इसका मतलन ये नहीं कि
मुझे आपकी रूह का भान नहीं।
आज भी भांप लेते हैं
आपके हर थिरकन की दूरी
बस बात इतनी सी है कि
मेरे और आपके बीच
रिश्तों में वो सुर नहीं, वो तान नहीं।।
क्या हुआ जो मुक़म्मल नहीं हुआ
मेरा आपका साथ।
शायद नहीं थी मेरे इन थपकियों में
राहत की वो शीत, सुकून की वो सांस
ख़ैर, बात तो उनमें भी होगी कुछ ख़ास
वरना यूँ ही न थाम लेते आप उनका हाथ।।
यूँ तो इस ज़माने में मिलेंगी
आपके हर नब्ज़ पर खुशियों की सौगात।
पर बात जब होगी अकेले में
ख़ुद को खोज पाने की ,
फिर देंगी दस्तक़ मेरी यादें ,
उस पल मिलेगी आपको मुझसे मात।।