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MUKESH KUMAR

Romance

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MUKESH KUMAR

Romance

फलां–फलां बातें

फलां–फलां बातें

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 ये सोच के आज भी मेरा दिल दहल जाता है

तुमने जाने से पहले मुझे अलविदा कहा था 


उस गलतफहमी से आंख में आंसू आ जाता है

तुम न माने मैंने मसला साफ लहज़े में कहा था।


मुझसे बड़ा पूछते हो कि मुझे कॉल नहीं करती है

ये आता है कभी ख्याल कि वो क्यों नहीं करती है।


मेरा जिस्म तो कब का ख़ाक बन चुका हैं तेरी यादों में

तुम क्या जानो क्या गुज़र रही है रूह पर तेरी यादों में।


तुम्हें तो बस शक करना आता है, वफ़ा तो रही ही नहीं

यह दुनिया भी छोड़ देंगे फिर न कहना मैं रही ही नहीं।


तुम तारीफें बड़ी करते थे पहले कि मैं ये हूं वो हूं और भी न जाने फलां–फलां

मगर आज कांटा बन गई हूं आंखों का तुम्हारे और भी न जाने फलां–फलां।



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