मौत से पहले ज़ुबाँ लड्खडाती नहीं जिन्दा रहते रूह कांपती इन दिनों !! मौत से पहले ज़ुबाँ लड्खडाती नहीं जिन्दा रहते रूह कांपती इन दिनों !!
तुम्हें सुनाने के लिए हमने कितनी कहानियाँ बनाई थी तुम्हें सुनाने के लिए हमने कितनी कहानियाँ बनाई थी
सही नहीं होते हैं सच के बदला स्वरूप के साथ जीना थोड़ा मुश्किल है नामुमकिन नहीं। सही नहीं होते हैं सच के बदला स्वरूप के साथ जीना थोड़ा मुश्किल है नामु...
कि रह लेंगे हम तो उनके बिना पर क्या ये भी कोई जिन्दगी कहलाती है ? कि रह लेंगे हम तो उनके बिना पर क्या ये भी कोई जिन्दगी कहलाती है ?
न कवियों में कवि फिर भी सुन रहे समय बिताने को ही सही। न कवियों में कवि फिर भी सुन रहे समय बिताने को ही सही।
गलतफहमी... एक शब्द- हज़ार मतलब जैसी सोच - वैसी ही हरकत। गलतफहमी... एक शब्द- हज़ार मतलब जैसी सोच - वैसी ही हरकत।