Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

vishwanath shirdhonkar

Fantasy

3  

vishwanath shirdhonkar

Fantasy

इन दिनों

इन दिनों

1 min
80



सुनाएं जा रहे हैं मेरे ही किस्से इन दिनों

मुगालते में रहते सब लोग हैं इन दिनों !!


गंगा जमुनी तहजीब के झंडाबरदार

घबराएं घरो मे दुबक गए हैं इन दिनों !!


तू क्या और तेरा भिकमंगा वजूद क्या

कोडियों में सब बिक गए हैं इन दिनों !!


कौन सी मज़बूरी का आलम है देखले

हमारा रास्ता एक लग रहा हैं इन दिनों !!


कहर ढाते तूफां हज़म करने के दावेदार

समंदर बेजान रेत से हारते हैं इन दिनों !!


सैलाब ने बर्बाद आशियाने कर दिए है

नदियों ने धारे मोड लिए हैं इन दिनों !!


बेजान खून के कतरे भी गवाही देते है

मौत कुछ सहमी सी रहती हैं इन दिनों !!


मौत से पहले ज़ुबाँ लड्खडाती नहीं 

जिन्दा रहते रूह कांपती इन दिनों !!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy