इन दिनों
इन दिनों
सुनाएं जा रहे हैं मेरे ही किस्से इन दिनों
मुगालते में रहते सब लोग हैं इन दिनों !!
गंगा जमुनी तहजीब के झंडाबरदार
घबराएं घरो मे दुबक गए हैं इन दिनों !!
तू क्या और तेरा भिकमंगा वजूद क्या
कोडियों में सब बिक गए हैं इन दिनों !!
कौन सी मज़बूरी का आलम है देखले
हमारा रास्ता एक लग रहा हैं इन दिनों !!
कहर ढाते तूफां हज़म करने के दावेदार
समंदर बेजान रेत से हारते हैं इन दिनों !!
सैलाब ने बर्बाद आशियाने कर दिए है
नदियों ने धारे मोड लिए हैं इन दिनों !!
बेजान खून के कतरे भी गवाही देते है
मौत कुछ सहमी सी रहती हैं इन दिनों !!
मौत से पहले ज़ुबाँ लड्खडाती नहीं
जिन्दा रहते रूह कांपती इन दिनों !!