कविता
कविता


प्रतियोगिताओं के मेले में
दौर चल रहा कविताओं का
कवियों की देखों अभिलाषा
चांद-सितारों को छूने की आशा
ऐसा मौका निकल न जाए
सोच यह घबरा जाते
पहन पोशाक नेताओं की
शोभा बढ़ाते मंच की
वे पहन कुर्ता पजामा
बेच रहे भविष्य हमारा
ये पहन पोशाक उनकी
करने आए अंकों का सौदा
हो गए बोर सभी
सुन कविता का रूप ऐसा
न कविताओं में कविता
न कवियों में कवि
फिर भी सुन रहे
समय बिताने को ही सही।