STORYMIRROR

Garima Kanskar

Abstract

4  

Garima Kanskar

Abstract

सच

सच

1 min
496

मैंने सुना था

सच तो सच

होता है

वो छुपता

न छुपाया जाता है


बस वक्त आने पर

सामने आ ही जाता हैं

पर कलयुग

में समझ रही हूँ

सच के कई

पहलू होते हैं

जिन पर


विचार करने

के बाद ही

किसी निष्कर्ष

पर पहुँचा जा सकता हैं

नहीं तो आप

एक गलतफहमी

में ही जीते रहते हैं


कि आप सही है

जबकि आप

सही नहीं होते हैं

सच के बदला स्वरूप

के साथ जीना थोड़ा

मुश्किल है

नामुमकिन नहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract