सच
सच
मैंने सुना था
सच तो सच
होता है
वो छुपता
न छुपाया जाता है
बस वक्त आने पर
सामने आ ही जाता हैं
पर कलयुग
में समझ रही हूँ
सच के कई
पहलू होते हैं
जिन पर
विचार करने
के बाद ही
किसी निष्कर्ष
पर पहुँचा जा सकता हैं
नहीं तो आप
एक गलतफहमी
में ही जीते रहते हैं
कि आप सही है
जबकि आप
सही नहीं होते हैं
सच के बदला स्वरूप
के साथ जीना थोड़ा
मुश्किल है
नामुमकिन नहीं।
