हिंदी भाषा, राजभाषा
हिंदी भाषा, राजभाषा
सुनो विश्व के ज्ञानी–ध्यानी मेरी भी है एक कहानी
बूझो तो जान पाओगे होगी रग–ए–जाँ में रवानी।
क्यों तुम मुझको राष्ट्रभाषा नहीं मानते कम आंकते
मेरी जाँ कभी तो मिलो तपाक से बना दो जहानी।
जहाज़ पे पंछी अक्सर सोचता है अक्षर बने ‘अक्स
फिर तुम काहे को मुझे स्वर्ण–अक्षरों से करे पानी।
किसी स्त्री के ललाट पे सजी जलाट बिंदी हूँ हिंदी हूँ
भावों की अभिव्यक्ति हूँ मैं तो जगत में शक्ति तूफ़ानी।
आंग्ल–भाषा को बड़ी तरजीह देते हो भूल मोहे जाए
संस्कृत से तत्सम हिंदी से तद्भव यही तो मेरी नादानी।
विश्व–गुरु जब कहलाए भारत साक्षात देव उतरे ज़मीं
क्या मैं भी विश्व के मानचित्र पे बनूंगी अमर–कहानी?
तुम अगर समझ पाओगे तो बहुत कुछ मुझसे ले लोगे
अगर ऐसे ही पिछड़ती रही तो बिछड़ जाओगे ज़बानी।
माना की तू भी है अकेला मेरी तरह तिश्ना–दहानी हो
अगर ऐसे ही होता रहा नहीं बचेगी जवानी में निशानी।
हे भरतवंशी! सुना है प्राचीर पे तू केसरिया लिबास धरे
तो क्यों न तिरंगे में हिंद हिंदुस्तान भारत हो ज़वानी।
टंकिट ले मुझे अपने कोरे काग़ज़ पे अल्फ़ाज़ बनाके
देख फिर मैं तुझे चाँद की सवारी न करा दूँ हो हैरानी।
सुर से सरस्वती बरसे वाणी में वीना वादक वादन करे
तू दाहन को खोल के ख़ता किस जुर्म में करे 'उर्यानी।
सुना है तेरे कोई भी काज अंग्रेज़ी भाषा बिन न होवे
ये बात है तो हिंदी को क्यों न जगत में बनाए आसानी।
संगणक में हिंदी सॉफ्टवेयर क्यों न प्रयोजनीय किया
कार्य हिंदी में हो लाज़मी है विश्व झुके बने हर्फ़-निगारी।
कम से कम हिंदी भाषी राज्य इसे आधिकारिक बनाए
कोई भी कार्य करना हो हिंदी में हो तो ये बने दीवानी।
जब हो चाँहु और रूतबा हिंदी का बिंदी सजे ‘अर्श में
प्रसार हो 'उजलत में चराग़ जले दूर हो घर की विरानी।
कलरव निर्झर एहसास में बहे हमारी अमर हिंदी भाषा
विश्व में तिमिर से उजास हो हिंदी है तेरी–मेरी कहानी।
