इश्क़ ही इश्क़
इश्क़ ही इश्क़
तेरी आँखों में जाज़बियत है इश्क़ में चूर हो गया
तेरी बातों में वो गुलाब है चाह में मजबूर हो गया।
माँद हो गया चेहरा मेरा तू जब से यूँ दूर हुआ
चाँद तब से छिप गया देखने को तुझे मजबूर हो गया।
आँखों में गिराके रंग कोई क़रीब से गुज़र गया
होली पर पहली दफ़ा देखते ही वो नूर हो गया।
हर चौराहे हर गली में इश्क़ का यूँ चर्चा हो गया
मैं तो बैठे-बिठाए ही दुनिया में मशहूर हो गया।
तुझे पाने के लिए दिल मेरा इतना मजबूर हुआ
ख़ुदा के दर पर जाकर मेरा इश्क़ भी मंजूर हो गया।

