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MUKESH KUMAR

Inspirational Others

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MUKESH KUMAR

Inspirational Others

“राखी”

“राखी”

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रक्षक जब सक्षम हो जाए दुआ दवा सा काम कर जाए

भगिनी बाँधे रक्षक–सूत्र भ्राता हवा सा नाम कमाए।


कच्ची डोरी पक्की ज़ोरी बनके बंधन को सच्ची करे

गोरी कलई में सजी राखी से संबंध में मक़ाम आए।


नन्ही बच्ची बनके सच्ची हँसी–खुशी में दिये जलाए

सहोदर जब ठान ले तो रक्षा करने राम–श्याम आए।


सावन में पावन रिश्ता गुज़िश्ता यादों का नविश्ता लाए 

बनके भाई फ़रिश्ता खुशियों की सौगात में पैग़ाम लाए।


वो बाँध रक्षा–सूत्र कर में हर ज्यों सारी बलाएँ जाए

क्यों भाद्र–पद दुर्दांत हुए सद–कर्मों से शाम सजाए।


ये न पूछे जात न ही पूछे धर्म जब तिलक बन जाए मर्म

इतिहास के पन्नों में सब्ज़ धर्म राखी का एहतिराम लाए।


ये दिन ज़ीस्त में सुब्ह–ओ–शाम स्नेह–संदेश लेके आए

मृत्यु भी मन से बाँधी राखी में कैफ़िय्यत–ए–दवाम पाए।


पुष्प-भूषित आँखें पद्म-पुष्प बातें पुष्प-अंजली बरसाए

ऐसे जैसे विसाल-ए-मौसम अर्श से माह–ए–तमाम लाए।


देखो तितलियाँ भी काँटों पे ज़ख्म की चाह में राखी बाँधें 

भाई विहीन बहनों के लिए भी प्यारा सा टेलीग्राम आए।


Word's Meaning:–

ज़ोरी:–शक्ति, ऊर्जा, उत्साह, बल

गुज़िश्ता:–भूतकाल

कर:– हाथ

नविश्ता:–लिखित, लिखा हुआ, लेख, तहरीर

मर्म:–हृदय का भाव, किसी के अंदर छिपा हुआ रहस्य

एहतिराम:– आदर, इज़्ज़त, सम्मान, सादर-सतकार

कैफ़िय्यत–ए–दवाम:–दूसरा जन्म, जीवन के बाद की अवस्था

पुष्प-भूषित:– फूलों से सुसज्जित

पद्म-पुष्प:–एक प्रकार की चिड़िया

माह–ए–तमाम :–पूरा चाँद, पूर्णिमा का चाँद


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