रात एक बरसात की
रात एक बरसात की
घटाएं सावन की काली घिर के ऐसे आ गई।
रात अंधियारी को फिर गहरा घना बना गई।
मेघ गर्जन में कड़कती बिजुलिया विकराल थीं
कड़कती बिजली से डर तुम पास मेरे आ गई।
था बड़ा संकोच तुम में प्यार था पर दूर थीं।
डर के बरसातों में तुम बाहों में मेरी समा गईं।
खुल गए दिल के झरोखे भीगी हुई बरसात में।
प्यार के अध्याय कितने जिंदगी लिखवा गई।
लोग कहते हैं वह भयानक रात थी बरसात की।
वह सुनहरी रात मेरी जिंदगी खुशनुमा बना गई।