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Khalida Shaikh

Romance

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Khalida Shaikh

Romance

परवाना

परवाना

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समझकर भी ना समझें

वो चाह हो तुम

बरसकर भी ना बरसे

वो बादल हो तुम

अपना सा लगे खोकर भी

वो रास्ते की एक ठोकर हो तुम

आस्मां में छाई हुई रंगीन सी

एक साज हो तुम

किसी की उदासी भरी

एक खामोश ग़ज़ल हो तुम

मीठी सी बातों में उलझा हुआ

एक अफसाना हो तुम

खुद ही अपनों से बेखबर

छूकर दिल तक दस्तक देनेवाला

एक परवाना हो तुम।


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