STORYMIRROR

Khalida Shaikh

Tragedy

4  

Khalida Shaikh

Tragedy

मोड़

मोड़

1 min
379

जिंदगी कितने मोड बदलती रहती है

अपनेपन का अहसास दिलाकर मनमें

अपनोंकों ही मुंहफेर देना सिखाती हैं

नए रिश्तें जोड देती है आसानीसे

कभी ये बनते है और कभी बिगड़ते हैं।


 खामोशसे होकर रिश्तों को 

हम निभाते फिरते हैं दुसरोंकी खातीर

हर वक्त हरपल हर मोड कुछ अलगसा

कभी बेगानासा तो कभी अंजाना सा

कभी खामोशसा कभी अफसानोंसा

कभी गमगीन कभी खुश तो 

 कभी ये उदाससा जिंदगीका मोंड 

हरएक वक्त करवट बदलता हुआ


 मुझें क्यूं नजर आता हैं

वक्तका तकाजा है चलते रहना

जिंदगी तो करवट बदलकर 

इम्तिहान लेती रहेगी हमारी

उससे बचकर निकलना हो तो 

संभलकर चलो घडी इम्तिहान की हैं


तुम्हारे सब्र की और खामोशी की है

जिंदगी कितने मोड़ बदलती रहती हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy