बचपन
बचपन
बचपन एक गुजरा हुआ कल
याद वो आए हरपल
कभी पाठशाला जाने की जल्दी.
तो कभी पेट द्खने का
बहाना कर घर लौटने की जल्दी.
बचपन एक गूजरा कल.
याद वो आए हरपल.
कभी रास्ते मे छेडखानी.
तो कभी पाठशाला मे हाथ पाई
खतम होती ये लड़ाई.
जब मध्यांतर की घंटी दे सूनाई.
कभी गृहपाठ से अनभिज्ञ.
तो कभी परिक्षा का डर.
बचपन एक गुजरा कल.
याद वो आए हरपल
कभी ईमली के पेडपर पत्थर
तो कभी कैरी की बारिश
मसाले के साथ कक्षा मे
खाने के मजे ही कुछ और
याद आए वो सूहाने पल
बचपन एक गूजरा कल
याद वो आए हरपल.
कभी तितली के पीछे
तो कभी बारिश में भीग कर
कागज की नाव को
जमा पानी मे तैरते देखना
दूर जाते देख नाव को पता न चला
कब हमारा वो बचपन साथ बह गया
आज जब बच्चों को देखतें तो
अपने दिन याद आते हैं
बचपन एक गुजरा कल
याद आए वो हरपल.