परवाना
परवाना
समझकर भी ना समझें
वो चाह हो तुम
बरसकर भी ना बरसे
वो बादल हो तुम
अपना सा लगे खोकर भी
वो रास्ते की एक ठोकर हो तुम
आसमां में छाई हुई रंगीन सी
एक साँझ हो तुम
किसी की उदासी भरी
एक खामोश गजल हो तुम
मिठी सी बातों में उलझा हुआ
एक अफसाना हो तुम
खुद ही अपनों से बेखबर
छूकर दिल तक दस्तक देनेवाला
एक परवाना हो तुम।