इंतज़ार
इंतज़ार
इंतजार था उनके आने का,
मेरा इश्क था कुछ रूहानी सा,
पर न जाने क्या उन्हे रुसवाई थी,
वो कभी मिलने ना आई थीं,।
देख लगता था ,है रिश्ता पुराना सा,
उसके चेहरे पर नूर था सुहाना सा,
मैं भी उसके इश्क में था दीवाना सा,
फिरता रहता उसके पीछे दीवाना सा,।
एक उम्मीद थी की मिल जाए कभी,
उसके लराजते होंठ से मेरे होठ,
टकराए तो कभी,
झील सी गहरी उसकी आंखो में ,
झांके तो कभी ।
इसी इंतजार में बरसों गुजर गए,
फितरत का कुछ उनके इल्म न हुआ,
गम के साए में भी हमने तो,
उनके इंतजार में दम ना तोड़ा।