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Dr.Narendra kumar verma

Romance

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Dr.Narendra kumar verma

Romance

मोहब्बत मेरी

मोहब्बत मेरी

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मैं लफ्जों से कुछ भी इजहार नहीं करता, 

इसका मतलब यह नहीं कि मैं उससे प्यार नहीं करता!

चाहता हूँ उसे आज भी, पर उसकी सोच में,

अपना वक्त बेकार नहीं करता!

तमाशा ना बन जाए कहीं मोहब्बत मेरी, 

इसलिए अपने दर्द को इजहार नहीं करता!

जो कुछ मिला है उसी में खुश हूं मैं, 

उसके लिए खुदा से तकरार नहीं करता!

पर कुछ तो बात है उसकी फितरत में जालिम, वरना उसे चाहने की खता बार-बार नहीं करता!

पसंद करती हैं लगता है मुझे कभी-कभी,

होंठो की हंसी, दिल की धड़कन का माप नही करता!

डर लगता है मोहब्बत में चूर न हो जाये, इसलिए दिलों की पहचान नहीं करता!


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