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Dr.Narendra kumar verma

Inspirational

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Dr.Narendra kumar verma

Inspirational

पल - पल

पल - पल

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कहने को तो मुक़द्दर भी साथ चलता है,

जरा सी हलचल मे, वह भी सिमट रह जाता है,

बेपरवाह होना भी एक लिमिट है,,

यहां स्वर्ग सा सुकून है तो नरक का जंजाल भी है !

शौर्य और पराक्रम से जितें हैं मुक़द्दर,

रास नहीं आए तो, ठहर से जाते हैं,

पल-पल अधूरा रह जाता है समा,,

किस्मत की लकीरों का कैसा हिसाब यहां!

मौका आते ही लपक लेते हैं, तपक से,

दूर से फरिश्ते जो भेजते हैं,

होश आते आते मदहोश हो जाते है,,

फ़िकर होनी चाहिए थोड़ी, मदहोशी मे भी!

कौन सी हसरत पूरी होनी चाहिए,

फर्क़ भी होते हैं ज़माने मे,

कभी - कभी बदलती तस्वीर के साथ,,

तकदीर भी बदलती है यहां!

हम नहीं तो कोई ग़म नहीं,

किसी का होना भी कम नहीं,

दुआएं आकर ठहर भी जाती है,,

परम और न्याय के आगे!


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