मेहनत की कशिश
मेहनत की कशिश
रात की रोशनी अपने सपनों मे है
सुबह की किरण अपनी आँखों में है,
सोंचते न रहिए, कब अवसर निकल जाए
मेहनत की कशिश अपने हाथों में है!
साथ निभाने वाले भी आयेंगे
समर्थ, प्रसन्न होंगे तो,
मुश्किल मे कब किनारा कर जाए
हमेशा अपने कदमों पर चलते रहिए!
बदलते बदलते जज्बात मिलेंगे
कठिन होते रास्तों पर,
ठोकर को अपना बना लीजिए
मंजिल पर पहुंचने के लिए!
ये रास्ते कठिन से सरल बहुत है
अनुभव और अभ्यास की ताक पर,
हर समा को छलकते रहिए
सपनों को हकीकत करने के लिए!
