मेरा दिल लगाना ही गलत था
मेरा दिल लगाना ही गलत था
ना मुझें देख तुम्हारा यूँ मुस्कुराना गलत था,
ना बातों ही बातों में मुझें सताना गलत था,
तुम्हारी कोशिशें लाख रही हो मुझसे मिलनें की,
पर मेरा तुम से मिलने आना ही गलत था।
ना तुम्हारा झगड़ना गलत था,
ना फिर मुझें मनाना गलत था,
हर बार तुम्हारी मिन्नतों के आगे मैं हार गई,
शायद मेरा यूँ पिघल जाना ही गलत था।
ना तुम्हारी हर मुलाकात गलत थी,
ना यूँ हर बार मुझें अकेला छोड़ जाना गलत था,
तुम्हारे कहे-अनकहे शब्दों की कहानी ही अलग थी,
शायद मेरा यूँ ज़िद पर अड़ जाना ही गलत था।
ना तुम्हारा यूँ सपने दिखाना गलत था,
ना तुम्हारा यूँ मेरे पास आना गलत था,
तुम्हारी सांसें तो हमेशा मुझसे अलविदा कहती रही,
शायद मेरा तुमसे दिल लगाना ही गलत था।