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Manisha Jangu

Abstract

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Manisha Jangu

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मेरी दुनियाँ

मेरी दुनियाँ

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वक़्त और हालातों से परे होकर रास्ता चुन सकूँ,

क़ामयाबी की परिभाषा दूनियाँ से नहीं, ख़ुद से बुन सकूँ,


मेरी सोच शायद आज अटपटी सी लगें,

पर मुमकिन हैं कि ख़ुद को दुनियाँ से ऊपर रख सकूँ।


उन्हीं रीति-रिवाजों से जी तो सभी रहें हैं,

उन जैसी ही आम हूँ, अगर इसे बदलने की कोशिश भी ना करूँ।


'करना पड़ता हैं' सुनने की अब ख्वाहिश नहीं है,

जब लिख ही रही हूँ, अपनी ज़िन्दगी अपनी कलम से,

तो क्यूँ ना मैं इस में केवल अपनी मर्ज़ी के रंग भरूँ।


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