मेरे अश्क
मेरे अश्क
मैं टुट कर बिखर भी जाऊँ अगर,
तो मेरे ही शब्द मुझें थाम लेंगे,
कोई पूछें ना पूछें हाल मेरा,
मेरे अश्क तो मुझें मेरे साथ दिखेगे।
बेवक़्त ही झलक जाते हैं यह जो मेरी आँखों से,
यह मुझें किसी और से कई बेहतर जानते हैं।
मेरी ख़ामोशियों में कितने शोर मर चुके हैं,
यह मेरी पलकों पर ठहरे मेरे अश्क जानते हैं।