मांझा
मांझा
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तुम शोर भी हो, तुम खामोशी भी,
मुस्कान भी थे, और अब उदासी भी।
कभी दवा थे, अब मर्ज़ हो,
हाँ, अब तुम थोड़े खुदगर्ज़ हो।
ना कल बुरे थे, पर ना अब अच्छे हो,
दुनियादारी का तो पता नहीं,
पर हाँ, दिल के रिश्तों में तो कच्चे हो।
ऊँची उड़ानों की तो बातें करते हो,
पर मांझे को ही पकड़ने से डरते हो।