मेरे शब्द
मेरे शब्द
एक अजीब सा सुकून मिलता है,
इन शब्दों को यूँ पन्नों में कैद करके।
मानो ये अब हमेशा के लिए सिर्फ मेरे है।
और इस भागती हुई ज़िन्दगी में भी,
सिर्फ मेरे लिए ठहरे हैं।
ये बिल्कुल वैसे ही है, जैसा मैंने इन्हें चाहा,
इन्होंने मुझे ना कभी ग़लत, ना कभी नादान समझा।