Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Manisha Jangu

Abstract Romance

4  

Manisha Jangu

Abstract Romance

तुम ठहर गए होते

तुम ठहर गए होते

1 min
261


माना कि हम में भी कमियाँ बहुत थी,

बहुत वक़्त ज़ाया किया तुम्हारा,

अपनी कहने और तुम्हारी बातें समझने में।

पर तुम्हारी कही हर बात सीख तो रही थी,

वक़्त तो लगना ही था, उन्हें जहन में उतरने में।

सब्र की सीमा कभी तुमने खोई,

और बड़े फिज़ूल से थे मेरे भी सवाल कई।

तू-तू मैं-मैं ना सिर्फ़ तेरी थी, ना सिर्फ़ मेरी,

दोनों ही ऊलजे हुए थे, किसी कश्मकश में।

फिर क्यूँ आज मैं गलत हूँ और तू सही,

मानो यह कहानी कभी मेरी रही ही नही।

सपने और हकीकत में सिर्फ़ इतना ही तो अन्तर हैं,

यह कहानी बस वही क्यूँ थमे, जहाँ सिर्फ़ हो तेरी मर्जी।

तुम्हारी तरह, हमें भी तुमसे शिकायतें बहुत थी,

अभी तो बहुत कुछ बक्की था, जो कभी तुमने सुना ही नही।

तुमें मालुम हैं हम कितने ज़िद्दी है,

पर शायद आज हमें बदलता हुआ देख रहे होते,

काश एक आखिरी बार ही सही

फिर से मेरी ज़िद पर तुम ठहर गए होते।


Rate this content
Log in